Categories: HINDI STORIES

Neelkanth Ki Awaz – एक कहानी जो जीवन बदल दे

Neelkanth Ki Awaz – एक कहानी जो जीवन बदल दे 

हर किसी के जीवन में कभी न कभी ऐसा मोड़ आता है, जब सबकुछ धुंधला लगता है — जैसे रास्ते हों पर दिशा न हो। ऐसी ही उलझन से गुजर

रहा था वेदांत, 16 साल का एक बुद्धिमान पर खोया हुआ किशोर, जो दिल्ली के एक प्रसिद्ध स्कूल में पढ़ता था।

उसका जीवन बाहर से देखने में बिल्कुल सामान्य था — अच्छे अंक, अच्छे दोस्त, मॉडर्न लाइफस्टाइल — लेकिन भीतर कुछ था जो अधूरा था।

वो अक्सर छत पर बैठा घंटों आसमान को निहारता, पर जवाब कहीं नहीं मिलता।

छुट्टियाँ और पहाड़ों की ओर घूमने का प्लान 

वेदांत के माता-पिता ने गर्मियों की छुट्टियों में उसे नैनीताल के पास एक छोटे से गाँव ‘पथरिया’ भेज दिया, जहाँ उसके दादाजी अकेले रहते थे।
यह गाँव हरियाली, शांत पहाड़ियों और पक्षियों की आवाज़ों से भरपूर था।

शुरुआती दो दिन तो मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की कमी से वेदांत चिड़चिड़ा रहा, लेकिन तीसरे दिन सुबह जब वह टहलने निकला, एक अलग ही अनुभव हुआ।

वो पहली आवाज़

एक पुराने पीपल के पेड़ के नीचे से गुजरते समय उसे एक रहस्यमयी आवाज़ सुनाई दी —
“क्लिउ… क्लिउ…”
उसने सिर उठाकर देखा — एक सुंदर, चमकदार नीला पक्षी वहां बैठा था — नीलकंठ

उसकी आवाज़ कुछ ऐसी थी जैसे किसी गहरे अंदर से आती हो — एक बुलाहट सी।

वेदांत मंत्रमुग्ध हो गया। अगली सुबह फिर वही आवाज़, और वही अनुभव।
अब वेदांत रोज़ सुबह उसी पेड़ के पास जाकर बैठने लगा, और उस आवाज़ को महसूस करने लगा।

दादाजी की बातों में गहराई

एक शाम वेदांत ने अपने दादाजी से पूछा,
“दादाजी, इस पक्षी की आवाज़ इतनी अलग क्यों लगती है?”

दादाजी मुस्कुराए और बोले:

“बेटा, नीलकंठ सिर्फ एक पक्षी नहीं है। इसे ‘शिव का वाहन’ माना जाता है। जब यह बोलता है, तो समझो प्रकृति तुमसे कुछ कह रही है। जो इसकी आवाज़ को सच में सुनता है, वो अपने भीतर झाँक पाता है।”

यह बात वेदांत के दिल में उतर गई। अब वह केवल आवाज़ नहीं सुन रहा था, वह खुद से बात करने लगा था

वेदांत ने सोचना शुरू किया —

“मैं क्या बनना चाहता हूँ? क्या मुझे वही बनना चाहिए जो समाज चाहता है, या वो जिसे करने में मुझे सुकून मिले?”

धीरे-धीरे उसे एहसास होने लगा कि उसे लेखन और फोटोग्राफी में गहरी रुचि है। उसे प्रकृति की तस्वीरें लेना, और अपने अनुभवों को शब्दों में ढालना बहुत अच्छा लगता था।

उसने गाँव में रहते हुए एक पुरानी नोटबुक निकाली और हर दिन “नीलकंठ की आवाज़” सुनते हुए कुछ न कुछ लिखना शुरू किया।

पहली कविता और आत्मबोध

एक सुबह पक्षी की आवाज़ के साथ ही उसने एक कविता लिखी:

“नीले पंखों की भाषा में,
छिपे हैं मेरे सवाल।
हर आवाज़ कहती है,
ढूंढ खुद का उजियाल।”

उसके भीतर जैसे एक नई रोशनी फैल गई। अब उसे साफ़ दिखने लगा कि जीवन केवल डॉक्टर या इंजीनियर बनने का नाम नहीं है। जीवन का अर्थ है — वो करना जिसमें आत्मा गूंज उठे।

गांव वापस आया , लेकिन नई सोच के साथ

वेदांत वापस दिल्ली लौटा, लेकिन अब वो वही वेदांत नहीं था।
उसने अपने माता-पिता से खुलकर अपनी बात कही — कि वह लेखक और नेचर फोटोग्राफर बनना चाहता है।

पहले तो थोड़ी नाराजगी हुई, पर जब उसके माता-पिता ने उसके लिखे शब्दों और खींची तस्वीरों को देखा, तो उन्हें गर्व हुआ।
उन्होंने वेदांत को कैमरा खरीद कर दिया और एक ब्लॉग शुरू करने में मदद की।

वेदांत का ब्लॉग – “Awaz-e-Neelkanth” – कुछ ही महीनों में वायरल हो गया। लोग उसकी कहानियाँ, कविताएँ और तस्वीरें देखकर जुड़ने लगे।

सम्मान और पहचान

एक साल बाद, वेदांत को एक नेशनल वाइल्डलाइफ फोटो प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिला। उसकी तस्वीर थी –
“नीलकंठ की उड़ान, सुबह की धूप में”
साथ में एक नोट लिखा था:

“यह केवल एक तस्वीर नहीं, यह मेरी आत्मा की आवाज़ है – जो मैंने पहाड़ों के उस एकांत पेड़ के नीचे सुनी थी।”


 सीख (Moral of the Story):

हर किसी के भीतर एक “नीलकंठ की आवाज़” होती है — जो हमें खुद से मिलाती है।
समस्या ये नहीं कि रास्ता नहीं है, बल्कि ये है कि हम अपनी अंदरूनी आवाज़ को सुनते नहीं।
जब हम उसे सुनते हैं — तभी हम वास्तव में जीना शुरू करते हैं।

अगर ये कहानी आपको अच्छी लगी तो इन कहानी को भी पढ़े 

Gareebi Se Safalta Tak – जिसने कभी जूते नहीं पहने, आज वही फुटवियर ब्रांड का मालिक है

Shabd Nahi The Par Sandesh Tha — खामोशी से बोलती अन्वी की कहानी

Seva Se Safalta Tak – जिसने भूखे को खाना खिलाया, आज वही CEO की नजरों में हीरो बना

Ashish

Leave a Comment

Recent Posts

Gareebi Se Safalta Tak – जिसने कभी जूते नहीं पहने, आज वही फुटवियर ब्रांड का मालिक है

Gareebi Se Safalta Tak :जिसने कभी जूते नहीं पहने, आज वही फुटवियर ब्रांड का मालिक है…

3 weeks ago

Shabd Nahi The Par Sandesh Tha — खामोशी से बोलती अन्वी की कहानी

Shabd nahi the par sandesh tha — खामोशी से बोलती अन्वी की कहानी जब किसी…

4 weeks ago

Seva Se Safalta Tak – जिसने भूखे को खाना खिलाया, आज वही CEO की नजरों में हीरो बना

Seva Se Safalta Tak – जिसने भूखे को खाना खिलाया, आज वही CEO की नजरों…

1 month ago

Golu-Aur-Samay-Ki-Ghadi-गोलू और समय की घड़ी

गोलू और समय की घड़ी गोलू एक 9 साल का शरारती, और  बहुत मासूम बच्चा…

1 month ago

अकबर और बीरबल की अनोखी परीक्षा

अकबर और बीरबल की अनोखी परीक्षा बहुत समय पहले की बात है। एक बार मुग़ल…

1 month ago

ठगों की बस्ती

ठगों की बस्ती बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में हरिया नाम का…

2 months ago