You are currently viewing बारिश में समोसे वाली | Samosa Seller in the Rain

बारिश में समोसे वाली | Samosa Seller in the Rain

बारिश में समोसे वाली | Samosa Seller in the Rain

हरे-भरे जंगल के एक कोने में  एक प्यारी सी पीली चिड़िया रहती थी — जिसका नाम  रानू  चिड़िया था । वह बहुत ही मेहनती और

खुशमिजाज सुभाव की थी। जब जंगल के सभी पक्षी बारिश में अपने घोंसलों में छुप जाते थे, तब गुड़िया चिड़िया ने एक अनोखा आइडिया लेकर

आई — “बारिश में समोसे बेचने का!”

“जब इंसानों को बारिश में चाय-समोसे की याद आती है, तो पक्षियों को क्यों नहीं?” — उसने मुस्कुराते हुए यह प्लान सोचा।

उसने समोसा चाय शॉप की शुरुआत की:_

रानू  चिड़िया ने एक छोटी सी दुकान बनाई — “SAMOSA CHAI SHOP”। वह रोज़ सुबह जल्दी उठकर अपने पंजों से आलू उबालती

और बहुत स्वादिस्ट मसाला  तैयार करती, और खुद ही समोसे तलती। उसकी दुकान के पास एक बड़ा पत्ता छत की तरह लगाया ताकि बारिश

की बूँदें उसके समोसे को भीगने न दें।

पहले दिन ही, कौआ काका, मीठू तोता, और भूरी मैना सब लोग आ गए । कौआ काका ने चखते ही कहा, “गुड़िया रानी , तुम्हारे समोसे तो

बादलों से भी नरम हैं!”

रानू  चिड़िया सिर्फ व्यापार नहीं करती थी, वह दिल से सेवा भी करती थी। जो पक्षी बीमार होते या जिनके पास खाने के लिए कुछ नहीं  होता,

वह उन्हें मुफ्त में समोसे देती थी। बच्चों के लिए वह “छोटू समोसे” बनाती थी — छोटे, लेकिन बहुत  स्वादिष्ट।

एक दिन, बहुत तेज बारिश बहुत हो रही थी। और बिजली भी चमक रही थी, बादल गरज रहे थे। जंगल के सभी जानवर बहुत  डरे हुए थे। तभी

एक छोटा  सा गिलहरी का बच्चा आया  , जिसकी माँ बहुत बीमार थी, वह भूख से बहुत तड़प रहा था ।

गुड़िया ने तुरंत उसे गर्म समोसे दिए और कहा, “बेटा, भूख से बड़ी कोई तकलीफ नहीं होती।” तुम पहले आराम से इसे खा लो |

रानू  चिड़िया अपने इस काम से बहुत खुस थी लेकिन जंगल में सभी को गुड़िया की सफलता पसंद नहीं आ रही थी। खासकर काला कौआ और 

बिल्लू,  को

जिसे खुद के समोसे कभी नहीं बिके। उसने सोचा, “इस चिड़िया को सबक सिखाना होगा!”

एक रात उसने दुकान के पास आग लगा दी, जिससे गुड़िया की छत जल गई।

रानू  चिड़िया बहुत दुखी हुई, लेकिन हार नहीं मानी। उसने अगले दिन बड़े पत्तों और बांस की मदद से फिर से दुकान बनाई। इस बार जंगल के सभी

पक्षियों ने मिलकर उसकी मदद की।

अब दुकान सिर्फ “SAMOSA CHAI SHOP” नहीं, बल्कि “Jungle Café” बन गई — जहां बारिश में स्वाद, संगीत और प्यार सब एक साथ

मिलता।

रानू  चिड़िया की मेहनत, प्यार और सेवा की भावना देखकर जंगल के  राजा  खुद वहाँ आया। और उन्होंने ने उस गुड़िया को “जंगल की 

सबसे  होशियार और दयालु चिड़िया” का सम्मान दिया।

अब गुड़िया की दुकान पर हर मौसम में भीड़ रहती थी, लेकिन सबसे ज्यादा बारिश के मौसम में।


 नैतिक शिक्षा (Moral of the Story):

  • सेवा और मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती।

  • जलन और शरारतें भले ही रास्ता रोकें, लेकिन सच्चाई और समर्पण आगे बढ़ाते हैं।

  • बुरा समय सबका आता है, लेकिन साथ और सहयोग से हर तूफान पार किया जा सकता है।

  • किसी भी काम को छोटा या बड़ा मत समझो, अगर वह दिल से किया गया है तो उसमें भी सम्मान है।

Leave a Reply