बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में हरिया नाम का एक भोला-भाला किसान रहता था। वह बड़ा मेहनती था और दिन-रात खेतों में काम करता था। उसके पास ज्यादा संपत्ति नहीं थी, पर उसका दिल बहुत बड़ा था। उसके पास एक सुंदर सी सफेद गाय थी, जिसे वह अपने परिवार की तरह मानता था।
एक बार गांव में सूखा पड़ गया और हरिया का खेत सूख गया। वह बहुत दुखी हो गया । खाने के लिए अनाज नहीं था और गाय के लिए चारा भी खत्म हो गया था। मजबूरी में, उसने अपनी प्यारी गाय को बेचने का फैसला किया।
सुबह-सुबह वह गाय को लेकर पास के शहर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे एक अजीब सी बस्ती मिली। वहाँ के लोग बहुत सज्जन और मीठे बोलने वाले लगे। हरिया को कुछ अजीब तो लगा, पर वह थका हुआ था और थोड़ी देर आराम करने बैठ गया।
उसे वहाँ तीन आदमी मिले – माखन, झुनझुन और बिल्लू। उन्होंने हरिया से बात की और उसकी गाय की खूब तारीफ की।
“अरे वाह! ऐसी सुंदर गाय तो हमने कभी नहीं देखी!” माखन बोला।
“कितना दूध देती है?” झुनझुन ने पूछा।
“दिन में दो बार देती है। बहुत सीधी और समझदार है,” हरिया ने गर्व से कहा।
तीनों ने आपस में इशारा किया और चालाकी से बोला, “भाई, हम इसे खरीदना चाहते हैं। बताओ कितने में दोगे?”
हरिया ने थोड़ी सोचकर कहा, “चार सौ रुपये।”
“हम पाँच सौ देंगे!” बिल्लू बोला।
हरिया खुश हो गया, लेकिन जैसे ही उसने गाय उन्हें सौंपनी चाही, वे बोले, “पैसे तो हम गाँव के सरपंच के पास रखवाते हैं, वहीं से मिलेंगे। चलो, हमारे साथ।”
हरिया उनके साथ चला गया, लेकिन वे उसे बस्ती के अंदर घुमा-फिराकर एक पुरानी झोपड़ी के सामने ले गए और कहा, “सरपंच यहीं हैं, अंदर जाओ।”
जैसे ही हरिया झोपड़ी में घुसा, दरवाजा पीछे से बंद कर दिया गया। अंदर कोई नहीं था, सिर्फ अंधेरा और एक पुरानी चारपाई। हरिया चौंका और चिल्लाया, “अरे दरवाजा खोलो!”
बाहर कोई नहीं सुन रहा था।
कुछ देर बाद, एक बूढ़ा आदमी दरवाजा खोलता है और कहता है, “क्या हुआ बेटा?”
हरिया ने सब बताया।
बूढ़ा मुस्कराकर बोला, “तू ‘ठगों की बस्ती’ में आ गया है बेटा। यहाँ जो भी आता है, उसे लूट लिया जाता है।”
हरिया अब घबरा गया। उसकी गाय गायब थी, पैसे भी नहीं मिले और अब वो अकेला था।
लेकिन उसने हार नहीं मानी। रात को उसने देखा कि वही तीनों लोग पास की झोपड़ी में सो रहे थे। हरिया ने धीरे से एक योजना बनाई।
वह जंगल से कुछ जंगली बेलें लाया और उनके दरवाजे पर बाँध दीं। फिर गाय की आवाज़ में ‘हम्म्म’ करने लगा।
बिल्लू उठ गया और बोला, “गाय की आवाज़? अरे लगता है हरिया लौट आया!”
जैसे ही वो बाहर निकला, उसकी टाँग बेलों में फँस गई और वह गिर पड़ा।
हरिया ने पास रखी एक लकड़ी उठाई और चिल्लाया, “मुझे मेरी गाय दो! नहीं तो पुलिस को बुलाऊँगा!”
अब झुनझुन और माखन भी जाग गए। हरिया की आँखों में साहस और गुस्सा देखकर वे डर गए। हरिया ने झोपड़ी में रखे पैसे उठाए, अपनी गाय ढूंढी और उसे लेकर बस्ती से बाहर निकल गया।
हरिया जब अपने गाँव लौटा, तो सबने उसकी हिम्मत की तारीफ की। उसने सबको बताया कि कैसे ‘ठगों की बस्ती’ में लोग मीठे बोलकर भोले लोगों को फँसाते हैं।
गाँव के बुज़ुर्गों ने मिलकर फैसला लिया कि किसी भी मुसाफिर को उस बस्ती से होकर नहीं जाने देंगे। रास्ता बदल दिया गया।
हरिया फिर से खेती में जुट गया और उसकी गाय भी सुरक्षित रही।
“बुद्धिमानी और साहस से हर ठग को मात दी जा सकती है।”
मीठे शब्दों से बहकाने वालों से सतर्क रहना चाहिए। हर अच्छे दिखने वाले इंसान का दिल अच्छा हो यह जरूरी नहीं होता।
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