अकबर और बीरबल की अनोखी परीक्षा
बहुत समय पहले की बात है। एक बार मुग़ल सम्राट अकबर का दरबार सबसे प्रसिद्ध विद्वानों से भरा हुआ था।
लेकिन उन सब में सबसे चतुर और लोकप्रिय थे – बीरबल। बीरबल की हाज़िरजवाबी और समझदारी के चर्चे दूर-दूर तक फैले हुए थे।
एक दिन सुबह-सुबह अकबर बादशाह ने बीरबल को बुलवाया और मुस्कराते हुए कहा,
“बीरबल, आज मैं तुम्हारी बुद्धिमत्ता की एक अनोखी परीक्षा लेना चाहता हूँ। तैयार हो?”
बीरबल ने झुककर सलाम किया, “हुज़ूर, मैं हमेशा तैयार हूँ।”
अकबर ने दरबार में सभी मंत्रियों और दरबारियों के सामने एक चुनौती रखी —
“मैं चाहता हूँ कि बीरबल ऐसी चीज़ खोजकर लाए जो बिना किसी कीमत के भी अनमोल हो,
और महंगी चीज़ होते हुए भी किसी भी किसी काम की न हो।”
पूरे दरबार में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया। यह दो विपरीत बातों वाली और एक ही चीज़ की माँग थी!
सभी दरबारी सोच में पड़ गए, लेकिन बीरबल मुस्कराए और बोले,
“जहाँपनाह, मुझे एक दिन का समय दीजिए।”
बीरबल पूरे दिन शहर के अलग-अलग हिस्सों में घूमते रहे । कभी बाज़ार गए, कभी मंदिर, कभी स्कूल, तो कभी ग़रीबों की बस्ती में ।
वो हर किसी से इस विषय पर बात करते, यह तक उन्होंने बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों से भी बात की |
अगली सुबह बीरबल दरबार में हाज़िर हुए, उनके हाथ में एक छोटा-सा मिट्टी का दिया (दीपक) था।
अकबर ने पूछा, “ये क्या है बीरबल?”
बीरबल बोले, “हुज़ूर, यही वो चीज़ है जिसकी आपने माँग की थी।”
अकबर ने हैरान होकर कहा, “तुम समझाओ, ये तो साधारण-सा दिया है।”
बीरबल मुस्कराए और बोले:
“यह दिया जब किसी अंधेरे घर में जलाया जाता है, तब बिना किसी कीमत के रोशनी देता है — जो अनमोल है।
लेकिन यदि सूरज की रोशनी में इसे जलाया जाए, तो यह महंगा तेल भी जलाएगा पर किसी भी काम का नहीं रहेगा।”
दरबार में एक पल के लिए खामोशी छा गई, फिर तालियों की गड़गड़ाहट गूंज पुरे दरबार में सुनाई दी ।
अकबर मुस्कराए और बोले,
“बीरबल, तुमने फिर एक बार साबित कर दिया कि तुम्हारी सोच सबसे अलग है।”
अकबर ने ठहाका लगाया और कहा,
“बीरबल, तुम सचमुच समझदार हो। लेकिन अब एक और चुनौती है।”
बीरबल ने मुस्कराकर कहा, “हुक्म दीजिए।”
अकबर बोले, “मैं चाहता हूँ कि तुम दरबार में ऐसा सवाल पूछो जिसका जवाब किसी के पास न हो,
लेकिन हर कोई जवाब देने की कोशिश करे।”
बीरबल ने सिर झुकाया और अगले ही पल बोले:
“ठीक है, मेरा सवाल है —
अगर आधा आसमान धरती पर गिर जाए, तो बाकी आधे का क्या होगा?”
सभी दरबारी चौंक गए! कुछ ने कहा, “वो भी गिर जाएगा”, कुछ बोले, “असंभव है”, और कुछ तो हँस पड़े।
अकबर खुद मुस्कराते हुए बोले,
“इसका जवाब क्या है, बीरबल?”
बीरबल बोले,
“जहाँपनाह, यही तो बात थी —
इस सवाल का कोई सही जवाब नहीं है, लेकिन हर कोई उसे हल करने की कोशिश करेगा।”
अकबर बीरबल की समझदारी पर बेहद खुश हुए और उन्हें इनाम में एक सोने की अंगूठी और 100 अशर्फियाँ भेंट की।
बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा (Moral of the Story):
बुद्धिमत्ता केवल किताबों से नहीं आती, बल्कि दुनिया को देखने के तरीके से आती है।
हर समस्या का हल हो सकता है — अगर हम धैर्य और चतुराई से सोचें।
कुछ सवालों के जवाब नहीं होते, पर उन्हें समझने की कोशिश ही इंसान को खास बनाती है।
ज्ञान से ज़्यादा ज़रूरी है उसे सही समय पर सही तरीके से उपयोग करना।
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