एक समय की बात है, एक बड़ा सुंदर तालाब था जो एक घने जंगल के बीचों-बीच स्थित था। उस तालाब में कई जानवर रहते थे – मछलियाँ, कछुए, बतखें और एक नीलकंठ पक्षी, जिसका नाम था नीलू। नीलू हर सुबह अपने नीले पंख फैलाकर आकाश में उड़ता और अपने गीत से सारे जंगल को मधुर स्वर देता।
उसी तालाब में एक चालाक मगरमच्छ भी रहता था, जिसका नाम था धूर्तू। धूर्तू बहुत आलसी और स्वार्थी था। वह अक्सर दूसरों को धोखा देकर अपना पेट भरता।
एक दिन धूर्तू बहुत भूखा था, लेकिन कोई शिकार नजर नहीं आया। तभी उसने पेड़ की डाल पर बैठे नीलू को देखा। उसके मन में एक योजना आई। उसने सोचा,
“अगर मैं इसे बहला-फुसलाकर नीचे बुला लूं, तो आज का भोजन तैयार हो जाएगा!”
“ओ सुंदर नीलू भाई! तुम्हारी आवाज तो सचमुच मधुर है। आज अगर तुम मेरे पास आकर गा दो, तो मेरा दिल प्रसन्न हो जाएगा। मैं तो तुम्हारे प्रशंसकों में से एक हूं!”
नीलू को पहले तो आश्चर्य हुआ, क्योंकि पहले कभी मगरमच्छ ने उसकी तारीफ नहीं की थी। लेकिन वह समझदार पक्षी था। उसने जवाब दिया,
“धूर्तू भैया, मैं तो यहाँ से ही गा देता हूँ, आपको सुनाई देगा।”
“नहीं-नहीं, पास से सुनने में मज़ा आता है। मैं तुम्हारे लिए तालाब के किनारे ताज़ी मछलियाँ भी लेकर आया हूँ। नीचे आओ, मैं तुम्हारी मेहमाननवाज़ी करना चाहता हूँ।”
नीलू को उसकी बातों पर शक हुआ। उसने नीचे देखा तो मछलियाँ तो थीं, लेकिन उनकी हालत ऐसी थी जैसे किसी ने उन्हें पहले ही मार दिया हो।
“धूर्तू भैया, क्या मैं पहले यह जान सकता हूं कि आप यह अच्छाई क्यों दिखा रहे हो? कहीं फिर से किसी को धोखा देने की योजना तो नहीं?”
“नहीं-नहीं, मैं तो अब बदल गया हूं। मैं अब अच्छा बन चुका हूं।”नीलू ने सोचा कि कुछ तो गड़बड़ है। वह उड़कर तालाब के दूसरे कोने पर चला गया और वहाँ से देखने लगा कि मगरमच्छ क्या करता है। जैसे ही मगरमच्छ को लगा कि नीलू नहीं आ रहा, उसने मछलियों को खुद खा लिया और कहा,
नीलू ने यह सब देख लिया और सब जानवरों को मगरमच्छ की सच्चाई बताई। अब कोई भी जानवर उसके पास नहीं जाता। धूर्तू अकेला और भूखा रहने लगा।
झूठ और धोखे की उम्र छोटी होती है। समझदारी और सतर्कता ही असली ताकत है।
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